जब रेल अप्रेंटिस रेलवे से ट्रैनिंग लेकर डबल स्किल्ड है तो उसकी सीधी भर्ती के तहत रेल अप्रेंटिस का रेलवे में समयोजन क्यो नही किया जा राहा है।
DOPT की गाइडलाइन से जब पंजाब सरकार अपने बिजली विभाग में ACT 1961 के तहत अप्रेंटिस को सीधी नियुक्ति (समयोजन) हो राहा है तो रेलवे क्यो बाधित हैं।
ओपन भर्ती से आने वाले अभ्यर्थियों के मुकाबले रेल अप्रेंटिस रेलवे के माहौल को और काम को अच्छे से जानते है। उन्हें अतिरिक्त ट्रैनिंग देने की जरुरत नहीं हैं जब ओपन भर्ती वालो पर समय ओर पैसा दोनो बर्बाद किया जाता है जबकि रेल अप्रेंटिस मात्र 10 रूपये के रसीदी टिकट में रेलवे में समायोजितहो जाते है।
रेल अप्रेंटिस आंदोलन की शुरुवात
31अगस्त 2015,सोमवार डी.एम.डब्ल्यू. पटियाला रेलवे अप्रेंटिस अपनी नौकरी की मांगो को लेकर आज 15वें दिन भी धरने पर बैठे हुए है ,पर रेलवे प्रशासन लगातार अप्रेंटिस की मांगो को दरकिनार करते हुये चुपी साधे हुए है नौकरी देने के संबन्ध मे कोई बयान खुल कर नहीँ दे रहे पहले जो बयान आये वो शर्मिन्दा जनक रहे है क्योंकि उन अफसरों को अप्रेंटिस का इतिहास देखना चाहिये एक्ट 1961 बाद मे पास हुआ पर रेल 1927 से अप्रेंटिस करवाती आ रही है अपनी ज़रूरत के लिये कुशल कारीगरों को तैयार करती है क्योंकि रेलवे को हर वर्ष लाखों की संख्या मे कर्मचारी चाहिये होते है ना की बिना कौशल प्राप्त आर.आर.बी और आर.आर.सी के द्वारा आये कर्मचारी बिल्कुल रेल के माहौल तथा काम से अनजान होते है पर जिन डी.एम.डब्ल्यू अफसरों के बयान है वह ही नहीँ चाहते की अप्रेंटिस को रोजगार मिले क्योंकि उनका ठेकेदारी का गोरखधंधा बन्द होता है क्योंकि ज्यादातर आर.आर.सी और आर.आर.बी से आने वाले घूस दे कर आते है जिसकी वजह से अप्रेंटिसों को अनदेखा किया जा राहा अगर रेलवे एक है तो कानून अलग अलग क्यों है हाल मे ही गोरखपुर,कोटा,चितरंजन आदि स्थानो पर काफी संख्या मे अप्रेंटिस रखे गये जिसके पुख्ता सबूत भी है इसलिये अफसरों से विनती है की खोखले बयान देकर अप्रेंटिस के सपनो से खिलवाड़ ना करे क्योंकि अगर इन बेरोजगार नौजवानों को रोज़गार नहीँ दिया जाता तो यह नौजवान नशे,चोरी जैसे गलत कामों मे पड़ कर अपना भविष्य खराब करेगे इसलिये इन्हे रोज़गार देकर प्राथमिक ज़रूरत को पूरा किया जाये ..
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